Supreme Court Order (सुप्रीम कोर्ट का आदेश) : आजकल हर किसी की ज़िंदगी में लोन लेना आम बात हो गई है। चाहे घर बनवाना हो, गाड़ी लेनी हो या बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे चाहिए हों—लोन एक ज़रिया बन गया है। लेकिन जब लोन लिया जाए और उसकी EMI ना भरी जाए, तो इसका असर सिर्फ आपकी जेब पर नहीं, बल्कि आपके पूरे भविष्य पर पड़ सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर एक कड़ा आदेश दिया है, जो लाखों लोगों की ज़िंदगी को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है।
Supreme Court Order क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह साफ कर दिया कि लोन लेने वाले अगर समय पर EMI नहीं भरते हैं, तो बैंकों को उन्हें ‘डिफॉल्टर’ घोषित करने का पूरा हक है। साथ ही, बैंक अब कर्जदार की संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया में भी तेजी ला सकते हैं।
मुख्य बातें जो कोर्ट के आदेश में शामिल हैं:
- EMI ना भरने पर बैंक नोटिस देने के बाद कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
- डिफॉल्ट करने पर क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है, जिससे आगे लोन मिलना मुश्किल हो जाएगा।
- बैंक कर्जदार की संपत्ति की नीलामी कर सकते हैं।
- कोर्ट ने कहा कि लोन लेना एक जिम्मेदारी है, न कि सिर्फ एक सुविधा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश : EMI डिफॉल्ट करने पर क्या-क्या नुकसान हो सकता है?
EMI ना भरने से सिर्फ बैंक ही नहीं, आपको भी लंबे समय तक नुकसान भुगतना पड़ सकता है।
संभावित नुकसान:
- क्रेडिट स्कोर पर असर: एक-दो EMI मिस होते ही आपका CIBIL स्कोर गिरने लगता है। इससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
- ब्याज बढ़ना: जब EMI समय पर नहीं दी जाती, तो उस पर लेट फीस और पेनाल्टी लगती है, जिससे कुल रकम बढ़ जाती है।
- कानूनी कार्रवाई: लगातार डिफॉल्ट करने पर बैंक कोर्ट जा सकता है और आपकी संपत्ति जब्त कर सकता है।
- मानसिक तनाव: बैंक से कॉल्स, नोटिस और कानूनी झंझट मानसिक शांति को भंग कर देते हैं।
वास्तविक जीवन के उदाहरण
उदाहरण 1:
संदीप नाम का एक इंजीनियर, जिसने 25 लाख का होम लोन लिया था। शुरुआत में EMI सही से देता रहा, लेकिन कोविड के समय नौकरी चली गई और EMI मिस हो गई। बैंक ने नोटिस भेजा और मामला कोर्ट तक पहुँच गया। उसकी संपत्ति नीलाम हो गई, और आज भी वो क्रेडिट स्कोर सुधारने की कोशिश कर रहा है।
उदाहरण 2:
रीता, एक टीचर, जिसने पर्सनल लोन लिया था। जब उसने देखा कि EMI भरना मुश्किल हो रहा है, तो उसने बैंक से संपर्क कर के EMI को री-शेड्यूल करवाया। आज वो समय पर भुगतान कर रही है और उसका स्कोर भी अच्छा बना हुआ है।
ऐसे बचें EMI डिफॉल्ट से
लोन लेते समय थोड़ी सी समझदारी बहुत बड़ा नुकसान होने से बचा सकती है। नीचे दिए गए टिप्स को अपनाकर आप EMI डिफॉल्ट से बच सकते हैं।
जरूरी सुझाव:
- सही EMI चुनें: लोन लेते समय ऐसी EMI चुनें जो आपकी इनकम से मेल खाती हो।
- ऑटो डेबिट सेट करें: इससे EMI अपने आप कट जाएगी और मिस होने की संभावना कम हो जाएगी।
- इमरजेंसी फंड रखें: कम से कम 3-6 महीने की EMI जितनी रकम सेविंग में होनी चाहिए।
- समय पर बात करें: अगर कभी परेशानी हो तो बैंक से समय रहते संपर्क करें, वे आपको विकल्प दे सकते हैं।
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लोन लेने से पहले क्या ध्यान रखें
लोन एक सुविधा ज़रूर है, लेकिन इसे समझदारी से लेना चाहिए।
लोन लेने से पहले करें ये काम:
- अपनी इनकम का आंकलन करें।
- बाजार में उपलब्ध ब्याज दरों की तुलना करें।
- टर्म और कंडीशन्स ध्यान से पढ़ें।
- लोन की ज़रूरत है भी या नहीं, सोच-विचार करें।
मेरे निजी अनुभव
जब मैंने अपना पहला पर्सनल लोन लिया था, तो बिना ज्यादा सोच समझे बड़ी EMI चुनी। दो महीने बाद जब एक्स्ट्रा खर्च आया तो मैं फंस गया। तब समझ आया कि EMI प्लानिंग सबसे जरूरी चीज़ है। मैंने बैंक से बात करके EMI को दोबारा सेट करवाया और फिर से बैलेंस में आया। इस अनुभव से मुझे यह सीख मिली कि वित्तीय समझदारी ही आगे की मुश्किलों से बचा सकती है।
क्या होगा इसका असर?
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद बैंक ज्यादा सख्त रवैया अपनाएंगे और EMI चुकाने में लापरवाही करने वालों को अब ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं आम लोगों को भी अब और सतर्क रहना होगा कि लोन लेना जितना आसान है, उसे चुकाना उतना ही जरूरी है। इस आदेश से निश्चित तौर पर लोन लेने वालों में एक अनुशासन आएगा और देश में वित्तीय अनुशासन भी मजबूत होगा।
याद रखें: लोन एक ज़िम्मेदारी है, इसे समझदारी और समय पर चुकाने से ही आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती है।